Thursday 21 February 2019

Dussehra 2019 : रावण के वो सात सपने जो रह गए अधूरे।




नवरात्री ख़तम होने के अगले ही दिन पुरे देश में विजय दशमी का त्यौहार मनाया जाता है.विजय दशमी को दशहरा भी कहा जाता है. विजयदशमी के दिन भगवान् श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था. विजयदशमी के दिन को अधर्म के ऊपर धर्म की जीत का दिन माना जाता है. रावण एक अधर्मी होने के साथ साथ एक बहुत बड़ा पंडित और ज्ञानी भी था. रावण का अहंकार और खुद को भगवान् से भी बड़ा समझना ही उसके मौत का कारण बन गया था. रावण के पास अपार शक्ति थी जो उसने घोर तपस्या कर के हासिल की थी. रावण अपनी इन्ही शक्तियों का उपयोग करके विश्व में कुछ बदलाव लाना चाहता था. उसके कुछ ऐसे सपने थे जिससे वह दुनिया को अपने मुताबिक नियंत्रित करना चाहता था. लेकिन रावण वध के साथ ही उसके सारे सपने अधूरे ही रह गए. आईये जानते है की रावण के वो कौन से सपने थे जो अधूरे रह गए. रावण का पहला सपना था की वो चाहता था की धरती का हर इंसान स्वर्ग जा सके. इस सपने को पूरा करने के लिए रावण ने स्वर्ग तक जाने की सीढ़ी बनाने का काम शुरू कर दिया था. लेकिन रावण वध के कारण यह काम अधूरा ही रह गया. रावण का दूसरा सपना था की वह समुद्र के पानी को मीठा कर दे. रावण यह जानता था की धरती पर पीने के पानी की मात्रा बहुत कम है. इसलिए वह इसका हल निकालने के लिए समुद्र के पानी को मीठा करने के उपाए पर काम कर रहा था. रावण को सोने का काफी शौक था. इसलिए उसने पूरी लंका को सोने का बनाया था. रावण का तीसरा सपना था की सोने में सुगंध आ जाए ताकि उसे कहीं भी सुगंध से पहचान लिया जाए इससे सोने को तलाश करने में आसानी हो जाएगी. रावण चाहता था की खून का रंग लाल से सफ़ेद हो जाए जिससे अगर वह किसी की हत्या कर दे तब किसी को इसका पता न चले. रावण देखने में काला था और इस बात से वह दुखी रहता था. इसीलिए वह रंगभेद की समस्या को ख़तम करके चाहता था कि सभी लोग गोरे दिखें ताकि कोई किसी को उनके सांवले रंग को लेकर मजाक न बनाये. रावण को मदिरा पान करने का भी बहुत शौक था. लेकिन मदिरा से आने वाली बदबू उसे बिलकुल भी पसंद नहीं थी. रावण चाहता था की मदिरा से बदबू हटा दी जाए जिससे सभी लोग मदिरा पान का आनंद उठा पाए.

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