आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां लड़कियों की शादी नहीं होती है. इस जगह पर लड़कियां शादी के लिए तरसती रहती हैं. ब्राज़ील में एक क़स्बा है जिसका नाम नोइवा है. यह क़स्बा पहाड़ों के बीच में है. इस कसबे की लड़कियां बेहद खूबसूरत होती हैं लेकिन फिर भी इनकी शादियां नहीं हो पाती हैं. यहाँ लड़कियों की शादियां न होने के दो जरुरी कारण हैं.पहला कारण है कि यहां लड़कियों की संख्या ज्यादा है. यहां लड़के इतनी संख्या में नहीं है जितनी संख्या में लड़किया है. इसके चलते सभी लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है. दूसरा सबसे बड़ा कारण है की लड़कियां शादी करने के बाद अपना कस्बा नहीं छोड़ना चाहती हैं. शादी के बाद वह अपने पति के साथ अपने ही कस्बे में रहना चाहती हैं साथ ही यहा पुरुषों की कमी होने के कारण महिलाओं के मुताबिक ही पुरुषों को चलना पड़ता है. इस कसबे में करीब ६०० महिलाये हैं जिनकी उम्र बीस से पैतीस साल के बीच में हैं.यहां के पुरुष काम के लिए शहरों में रह रहे हैं. जबकि पूरे कस्बे की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ही है. यहां की महिलाओं का कहना है की वो पुरषों को अपने से कम नहीं समझती है लेकिन वो चाहती है की काम में हर कोई बराबरी से उनका साथ दें. इस कस्बे की पहचान मजबूत महिला समुदाय की वजह से है. इसकी स्थापना मारिया सेनहोरिनहा डी लीमा ने वर्ष १८९१ में की थी. उनको उनके गांव से व्यभिचार करने के आरोप में निकाल दिया गया था. वह जबरदस्ती किसी भी पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती थी. बाद में उन्हें कुछ और महिलाओं का साथ मिला और उन्होंने इस कसबे की स्थापना कर दी.
Thursday 20 September 2018
इस गांव की लड़कियां शादी के लिए तरसती रहती है। Noiva do Cordeiro || Brazil
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां लड़कियों की शादी नहीं होती है. इस जगह पर लड़कियां शादी के लिए तरसती रहती हैं. ब्राज़ील में एक क़स्बा है जिसका नाम नोइवा है. यह क़स्बा पहाड़ों के बीच में है. इस कसबे की लड़कियां बेहद खूबसूरत होती हैं लेकिन फिर भी इनकी शादियां नहीं हो पाती हैं. यहाँ लड़कियों की शादियां न होने के दो जरुरी कारण हैं.पहला कारण है कि यहां लड़कियों की संख्या ज्यादा है. यहां लड़के इतनी संख्या में नहीं है जितनी संख्या में लड़किया है. इसके चलते सभी लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है. दूसरा सबसे बड़ा कारण है की लड़कियां शादी करने के बाद अपना कस्बा नहीं छोड़ना चाहती हैं. शादी के बाद वह अपने पति के साथ अपने ही कस्बे में रहना चाहती हैं साथ ही यहा पुरुषों की कमी होने के कारण महिलाओं के मुताबिक ही पुरुषों को चलना पड़ता है. इस कसबे में करीब ६०० महिलाये हैं जिनकी उम्र बीस से पैतीस साल के बीच में हैं.यहां के पुरुष काम के लिए शहरों में रह रहे हैं. जबकि पूरे कस्बे की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ही है. यहां की महिलाओं का कहना है की वो पुरषों को अपने से कम नहीं समझती है लेकिन वो चाहती है की काम में हर कोई बराबरी से उनका साथ दें. इस कस्बे की पहचान मजबूत महिला समुदाय की वजह से है. इसकी स्थापना मारिया सेनहोरिनहा डी लीमा ने वर्ष १८९१ में की थी. उनको उनके गांव से व्यभिचार करने के आरोप में निकाल दिया गया था. वह जबरदस्ती किसी भी पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती थी. बाद में उन्हें कुछ और महिलाओं का साथ मिला और उन्होंने इस कसबे की स्थापना कर दी.
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